ने जीत सिंह का कभी पीछा न छोड़ा।
इस बार बमय सामान एक पैसेंजर पकड़ा
तो मंजिल पर पहुँचकर पैसेंजर गायब हो गया।
सामान की वजह से थाने में हाजिरी भरनी पड़ी।
वहाँ सामान का भेद खुला तो प्राण कांप गए।
फिर उसके साथ बद् से बद्तर हुआ, बद्तरीन हुआ। ऐसा ही था जीत सिंह उर्फ जीता
जो कभी कुछ न जीता फिर भी नाम जीता
दुबई गैंग
टॉप मिस्ट्री राइटर सुरेन्द्र मोहन पाठक
का नवीनतम उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन
की गौरवशाली प्रस्तुति