Jadugarni -अनुपमा अपने नाम को सार्थक करती थी। उसकी कोई उपमा नहीं थी। उसके बारे में सिर्फ ये कह देना काफी नहीं था कि वो इंतहाई खूबसूरत थी। वो मोनालिसा थी, क्लोपेट्रा थी, वीनस थी। वो जादूगरनी थी। वो किसी को तोता बनाकर पिंजरे में बंद कर सकती थी। मक्खी बना कर दीवार से चिपका सकती थी। अनुपम सौन्दर्य की मालकिन अनुपमा। जब इस अनुपम सौन्दर्य की जुगलबंदी उसके खतरनाक दिमाग से हुई तो जैसे कहर बरपा हो गया। क्या कोई उसके जादू से बच पाया? ‘सुनील सीरीज’ का यादगार उपन्यास! सुरेन्द्र मोहन पाठक की करिश्माई लेखनी पूरे जलाल पर। साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुति।