Uljhan Buljhan Pyar उलझन बुलझन प्यार -रिश्तों में इतनी सामर्थ्य नहीं होती कि वे प्रेम की परिभाषा गढ़ सकें, जबकि प्रेम कुछ भी गढ़ सकता है। अंकुरण, प्रेम का स्वभाव है जो परिस्थितियों के अनुकूल होते ही उग आता है, परंतु ये उसकी तक़दीर है कि वह दीवारों पर उगे पौधों की तरह सूख जायेगा या फिर किसी मैदान में बढ़कर विशाल वृक्ष की तरह फूलेगा फलेगा। परिणाम की चिंता से दूर प्रेम धारा के विपरीत किसी अपवाद की तरह मिल ही जाता है। उलझन बुलझन प्यार की कहानी ऐसे ही किसी अपवाद की कहानी है, साथ ही प्रेम की कोमलता और रिश्तों के कठोर यथार्थ का तार्किक विश्लेषण भी करती है।