किसी भी क़ीमत पर फिल्मो में अपना मुक़ाम बनाने को आतुर एक नवोदित टीवी एक्ट्रेस। पल्प फिक्शन के सुनहरे दौर को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध एक नवोदित स्वयंभू लेखक। अपना सुनहरा दौर जी चुकी एक अभिनेत्री, जो अपना दौर गुजर जाने की हक़ीक़त मानने को तैयार नहीं थी। एक प्रतिभा का धनी युवा क्रिकेटर ,जो अपनी शराब की लत और अक्खड़ मिजाजी के चलते अपने कैरियर का सत्यानाश कर चुका था । एक चरित्रहीन फ़िल्म निर्माता । अपनी जवानी के अंतिम दौर में प्रविष्ट एक चर्चित अभिनेत्री का युवा प्रेमी। तिकड़मबाज़ी से जज बनने की आकांक्षी एक महिला वकील । और एक चोर, जो चोरी को आर्ट मानता था और ख़ुद को आर्टिस्ट । अपने अपने जीवन में संघर्षरत इन लोगो के जीवन में आता है एक बड़े रियल्टी शो ‘द होस्ट’ में प्रतिभागी बनने का मौक़ा, जिसे वो ऑफर की गई मोटी रक़म के सदके हाथों हाथ लपक लेते हैं। अनपेक्षित रूप से शो में दो ऐसे लोग भी शामिल हो जाते हैं, जो जीवित ही नहीं थे । कौन थे वे दो लोग? क्या चाहते थे ? उन्होंने क्यों बदल दिया था रियल्टी शो को मौत के खेल में?