कैलेंडर पर लटकी तारीखें – दिव्या शर्मा (Calendar Par Latki Tareekhen- Divya Sharma)
हर तारीख की अपनी एक कथा है।
जो लिखी गई हैं यथार्थ के धरातल पर कल्पनाओं के रंगों को समेट कर। यह रंग हमारे अपने हैं जिनमें शामिल है हमारी पूरी ज़िन्दगी।
जिन्दगी जो समंदर की तरह होती है, वह समंदर दिल की गहरी गुफा में बह रहा है लेकिन
“इस नमकीन… समंदर में भी ज्वार-भाटा आते हैं…. तब उस अंधेरी गुफा में ….भी …शोर मचने लगता है ..।”
इसी ज़िन्दगी के उतार चढावों को, इसके सुख और दुःख के रंगों को समेटकर लाया है यह लघुकथा संग्रह जो कहीं-न-कहीं आपको अपने होने का एहसास दिलाएगा।