“अपने देश का अजनबी” एक ऐसी कहानी है जो देशभक्ति, पहचान और सामाजिक सच्चाइयों के बीच झूलते एक व्यक्ति की आंतरिक और बाह्य यात्रा को दर्शाती है।
यह उपन्यास नायक की उस पीड़ा और संघर्ष को सामने लाता है जब वह अपने ही देश में लौटकर खुद को बेगाना महसूस करता है। ओमप्रकाश शर्मा की यह कृति सिर्फ एक रहस्य या जासूसी उपन्यास नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और वैचारिक टकराव की मजबूत प्रस्तुति है।
“अपने देश का अजनबी” एक आत्ममंथन है — जहां पाठक खुद से पूछता है कि “क्या हम अपने ही सच्चे नागरिकों को पहचान पाने में असफल हो रहे हैं?”