युद्ध की गहरी कंदरा में,लालसाओं के डोलाइन के पीछे,राजनीति के चूना पत्थरों से निर्मित कठोर शैल के अनगढ़ आवरण में बरसों से बंद, अपनी प्राकृतिक और कलात्मक कांति से दीप्त नाजुक मोती सा ये सुंदर देश वियतनाम, अपनी स्निग्ध आभा की छटा दुनिया के समक्ष उस तरह नहीं बिखेर पाया जिसका वो हकदार था।
सीप में बंद पड़े इस अनादृत नायाब मोती को हौले से सीप से बाहर निकाल अपनी हथेली पर रख उसकी एक झलक सबको दिखाने की चाहना का नाम ही है ये यात्रा वृत्तांत!
हाँ मैं स्वीकार करती हूँ मैं ही पहले पास नहीं आई तुम्हारे, इसलिए हमारे बीच दूरियाँ बनी रही। मैंने ही आने में बहुत देर कर दी वरना…
इतने भी दूर नहीं थे तुम!